Wednesday, February 2, 2011

जोगिया तोहें कौन रोग लागी रे-

जोगिया तोहें कौन रोग लागी रे-

विगत गणतंत्र दिवस पर सम्पूर्ण देश के राजनीतिक माहौल में एक ऊहापोह की स्थिति बनी रही। मामला कश्मीर के लालचौक पर झंडा फहराने का था। अखंण्ड भारत के किसी भाग में तिरंगा फहराने से किसी को क्या समस्या हो सकती है समझ से पारे है। देश की केंद्रीय सत्ता पर आसीन कांग्रेस पार्टी और कश्मीर के मुख्यमंत्री मियां उमर को लालचौक पर तिरंगा भहराने से क्या समस्या है क्या वो कश्मीर को भारत का अंग नहीं मानते या अलगाववादियों को सरकार और संविधान से भी सर्वोच्च मानते हैं ? जो भी हो पर हालात तो यही संकेत देते हैं। पूरे प्रकरण पर केंद्र सरकार और मियां उमर ने जो प्रतिबद्धता दिखाई वो एक गंम्भीर राजनीतिक रोग का परिचायक है और अलगाववादियों जैसे अनेक असंवैधानिक विषाणुओं का परिपोषक। अब हम जाहे लाख प्रतिरोधक औषधि का प्रयोग करें पर इन विषाणुओं को पनपने का एक सुअवसर प्राप्त हो ही गया। कोई आश्चर्य नहीं होगा जब अन्य ऐसे संगठन अपनी असंवैधानिक मांगों को ले कर कोई आनदोलन कर दे। जबकि इस मामले में होना ये चाहिये था कि मुख्यमंत्री को स्वयं लालचौक पर जा कर तिरंगा फहराना चाहिये था और अलगाववादियों एवं विपक्ष को एक आदर्श उत्तर देना चाहिये था।

विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर एक रोगग्रस्त राजनीति का परिचय दिया। पूरे 1 महीने से विपक्ष ने इस मुद्दे पर बवंडर मचा रखा है। पूरे देश में जगह-जगह प्रदर्शन किये, पुतले जलाये और जम कर राजनीतिक बयानबजी की पूरे मामले गर्म कर दिया। ऐसा लगा की अब ये मामला भाजपा और राष्ट्र के सम्मान का है, भाजपा लाला चौक पर झंडा फहरा कर रहेगी। पर 25 जनवरी को भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने जिस नाटकिय ढगं से गिरफ्तारी दी उससे मुद्दे पर भाजपा नेताओं का समर्पण साफ नजर आता है।

वर्तमान समय में जहाँ देश के सामने भ्रष्टाचार, महगाई और विदेशों में जमा काला धन, जैसी विकट आर्थिक समस्याएं है। उस समय विपक्ष एक राजनीतिक रूपक का मंचन करने में लगा हुआ है। इस भावनात्मक मुद्दे को भुना कर अपनी राजनीतिक रोटी सेकने का प्रयास कर रहा है।

देश की राजनीति के दो बड़े ध्रुव सात्तापक्ष और विपक्ष दोनो में जो लक्षण परिलक्षित हो रहा है वो लोकतंत्र के स्वास्थ के लिए लाभदायक प्रतित नहीं होते।

देश के राजनीतिक सन्यासियों को लगता है कि कोइ संक्रमण हो गया है, जो ये देशहित को तिलांजली देकर पार्टी और स्वहित के चक्कर में फसें हुए हैं। राष्ट्र के इन राजनीतिक जोगियों की दशा देख कर मन में एक ही प्रश्न आता है कि जोगिया तोहें कौन रोग लागी रे